‘‘कमला काॅलेज में 09 दिनों तक निःशुल्क मिलेंगें औषधीय एवं फलदार पौधों के प्लांटिग मटेरियल ‘‘
शासकीय कमलादेवी राठी स्नातकोत्तर महिला महाविद्यालय, राजनांदगांव द्वारा ‘‘आओ हरियाली की चादर फैलायें‘‘ अभियान के अंतर्गत दिनांक 07.07.2019 रविवार आषाढ़ शुक्ल पंचमी से प्रत्येक कार्य दिवस पर दिनांक 15.07.2019 तक डाॅ.ओंकार लाल श्रीवास्तव विभागाध्यक्ष गणित एवं संयोजक पर्यावरण संरक्षण समिति द्वारा घर-घर, गांव-गांव औषधीय एवं फलदार पौधों के रोपण का वृहद अभियान चलाया जायेगा । इसके अंतर्गत कई प्रजातियों के आम, देशी पपीता, शहतूत, श्रीआंवला, रामफल, सीताफल, निर्गुण्डी, पारिजात (हरश्रृंगार), अमृता (गिलोय), महानीम (बकायन), कालमेघ आदि पौधों के प्लांटिंग मटेरियल एवं लगाने की तकनीक तथा उनके औषधीय उपयोग की जानकारी दी जायेगी । यह जानकारियाँं एवं प्लांटिंग मटेरियल सभी को निःशुल्क दी जायेगी लेकिन सभी लोगों को एक रजिस्टर में अपना नाम, पता लिखना होगा एवं इन्हें लगाने का प्रपत्र जमा करना अनिवार्य होगा । इनमें से कई पौधों की विशेषता यह है कि इन्हें जानवर नहीं खातें हैं इसलिए इन्हें सड़क के किनारे, घरों के बाहर, खेतों की मेंड़ पर लगाया जा सकता है ।
‘‘कमला काॅलेज में वृक्षारोपण कार्यक्रम सम्पन्न‘‘
शासकीय कमलादेवी राठी स्नातकोत्तर महिला महाविद्यालय, राजनांदगांव के पर्यावरण संरक्षण समिति के तत्वाधान में आज दिनांक 08.07.2019 को ‘‘आओ हरियाली की चादर फैलायें‘‘ अभियान के अंतर्गत लगभग 100 फलदार एवं छायादार तथा औषधीय पौधों का रोपण महाविद्यालय परिसर में किया गया । इस अवसर पर नगर पालिक निगर के आयुक्त श्री चन्द्रकांत कौशिक ने पौधा रोपण करने के बाद कहा कि नगर में 01 लाख पौधा रोपण का लक्ष्य रखा गया है और शहर के सभी कालोनीयों, सभी मार्गो तथा पार्को में वृक्षारोपण का वृहद अभियान चलाया जा रहा है और सभी नागरिकों से मेरी अपील है कि राजनांदगांव शहर को हराभरा करने के लिए ज्यादा से ज्यादा पौध रोपण करें और पौधों को बचायें, गर्मीयों में पौधों में पानी भी डालें । महाविद्यालय की प्राचार्य डाॅ.सुमन सिंह बघेल ने कहा कि पौधें पर्यावरण संरक्षण में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है ये जहां फल, फूल और लकड़ी देते है वही पक्षियों एवं जीव जन्तुओं को आश्रय भी प्रदान करते है । भारतीय संस्कृति में 01 वृक्ष लगाना 10 पुत्रों के समान माना गया है । महाविद्यालय के पर्यावरण संरक्षण समिति के संयोजक डाॅ.ओंकार लाल श्रीवास्तव ने बताया कि महाविद्यालय द्वारा 07 जुलाई से 15 जुलाई तक लगातार 09 दिनों तक विभिन्न तरह के औषधीय, फलदार एवं अन्य प्रजातियों के पौधों एवं प्लांटिंग मटेरियल का वितरण लगातार किया जा रहा है जिसे शहर एवं गांवों के लोग ले जा रहे है और अपने गांवों के आस-पास लगा रहे हैं । इनमें अधिकांशतः ऐसे पौधे है जिन्हें जानवर नहीं खाते है और ये जल्दी बड़े भी हो जाते है । अतः इनसे पर्यावरण की सुरक्षा भी होती है और वाॅटर हार्वेसटिंग में भी सहायता मिलती हैं । कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राध्यापक डाॅ.एम.एल.साव, डाॅ.जयसिंग साहू, श्री आलोक जोशी, श्री एस.एन.वानखेड़े, डाॅ.नीता एस.नायर, डाॅ.बसंत सोनबेर, सुश्री आबेदा बेगम, श्रीमती ममता आर.देव, डाॅ.निवेदिता ए.लाल, श्री के.के.द्विवेदी, श्री एम.के.मेश्राम, डाॅ.सुषमा तिवारी, सुश्री रेणु त्रिपाठी, श्रीमती रामकुमारी धुर्वा, डाॅ.बृजबाला उइके आदि प्राध्यापक एवं श्री वाय.के.दीपक, श्री के.एल.देवांगन, श्री आदित्य मिश्रा एवं अन्य कर्मचारीगण तथा स्नातक एवं स्नातकोत्तर कक्षाओं की छात्राओं ने मिलकर पौधे लगाए और महाविद्यालय को हराभरा करने का संकल्प लिया ।
‘‘कमला काॅलेज में नई शिक्षा नीति पर हुआ विमर्श‘‘
शासकीय कमलादेवी राठी स्नातकोत्तर महिला महाविद्यालय, राजनांदगांव द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 के प्रारूप पर आज दिनांक 16.07.2019 को 03ः00 बजे महाविद्यालय में एक विमर्श का आयोजन किया गया । जिसमें शिक्षाविद् डाॅ.गणेश खरे ने कहा कि आज ही तीन खबरे मैने पढ़ा कि प्राईमरी स्कूल में शिक्षक नहीं है । एक महाविद्यालय में कक्षा में दरवाजा नहीं है और एक विश्वविद्यालय द्वारा जो परिणाम जारी किया गया है । उसमें एक विषय के अंक ही जोड़े नहीं गए है अर्थात् शिक्षा के क्षेत्र में ये क्या हो रहा है ? अध्यापन का कार्य का समय कम है और अन्य कार्यो में समय अधिक दिया जा रहा है । परीक्षा की अवधि ही लगभग 06 महीने की है । 1970 में जो पाठ्यक्रम था वही कमोबेस आज भी चल रहा है । अतः नई शिक्षा नीति में कौशल विकास संबंधी कार्यक्रम विकसित किया जाना चाहिए और व्यक्तित्व का उन्नमुखीकरण शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य रखते हुए गुणनात्मकता बढ़ाई जाना चाहिए । महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डाॅ.एम.एल.साव ने कहा कि नई शिक्षा नीति में उच्च शिक्षा में गुणनात्मक परिवर्तन आएगे और ळम्त् 50 प्रतिशत का लक्ष्य प्राप्त करेंगा । महाविद्यालय की वरिष्ठ प्राध्यापक डाॅ.एच.के.गरचा ने कहा कि प्रायमरी एजुकेशन में जनरल प्रमोशन की नीति को बंद करना चाहिए । सुश्री आबेदा बेगम ने सवैद्धांतिक एवं व्यवहारिक प्रश्नों का समावेश कर शिक्षण पद्धति का विकास करने पर जोर दिया । कार्यक्रम के संयोजक डाॅ.ओंकार लाल श्रीवास्तव ने बताया कि अभी नई शिक्षा नीति से भारतीय उच्च शिक्षा व्यवस्था फिर से नालंदा और तक्ष्यशिक्षा की तरह अपने गुणवत्ता पूर्ण ऊचांईयों पर पहुचेगी । अब पाठ्यचर्या का विकास व्यवहारिक शिक्षण आधारित होने जा रहा है जिसमें कल्पनाशील और लचीली पाठ्यचर्या की संरचना अपनाई जाएगी । एम.फिल खत्म किया जाएगा, च्वाईस बेस्ट क्रेडिट सिस्टम को और संशोधित किया जाएगा । तदर्थ संविदा नियुक्ति पर रोक लगाई जाएगी । उच्च शिक्षण संस्थानों में टीचर जो पढ़ाने आएगे उनकी ट्रेनिंग के बाद ही पढ़ाएगें जिससे शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ेगी । डाॅ.जी.पी.रात्रे ने कहा कि वंचित वर्ग को भी शिक्षा अच्छे से मिल सके तथा 12 वर्ष तक के बच्चों को धार्मिक शिक्षा नहीं देनी चाहिए । शिक्षा के क्षेत्र में निवेश और अधिक होना चाहिए । डाॅ.निवेदिता ए.लाल ने कहा कि प्रायमरी स्कूल से अंग्रेजी विषय का अध्यापन कराया जाना चाहिए । न्यूनतम उत्तीर्ण होने का प्रतिशत 50 होना चाहिए, सभी पदों पर टीचर की नियुक्ति होना चाहिए । श्रीमती ममता आर.देव ने कहा कि फर्नीचर और टीचर की कमी दूर हो, अवासीय महाविद्यालयों तथा विद्यालयों की स्थापना हो, लाईब्रेरी देर रात तक खोली जाए । पढ़ाई के साथ स्कील डेवलपमेंट होना चाहिए । श्री महेन्द्र कुमार मेश्राम ने कहा कि कम्प्यूटर व स्मार्ट क्लास के माध्यम से बच्चों को आधुनिक विज्ञान की शिक्षा मीडिल क्लास से देना शुरू की जाना चाहिए जिससे बच्चा नई तकनीकी चीजों को जान सकें । श्रीएस.एन.वानखेड़े ने कहा कि शिक्षा नीति प्रत्येक राज्य के एक ही होनी चाहिए और तकनीकों का प्रयोग किया जाना चाहिए । डाॅ.सुषमा तिवारी ने कहा कि स्नातक स्तर में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा लिया जाना चाहिए और प्रायमरी स्कूल के शिक्षकों से अन्य कार्य नहीं करना चाहिए जिससे विद्यार्थी की नीवं मजबूत हो सके । श्री के.के.द्विवेदी ने कहा कि उच्च शिक्षा का अनिवार्य नहीं किया जाए, विशेषज्ञ शिक्षा पर जोर दिया जाए, मातृभाषा में शिक्षा अनिवार्य हो। स्नातकोत्तर शिक्षा अवासीय हो । पाठ्यक्रम में क्षेत्रीय विशेषताएं शामिल होना चाहिए । श्री आलोक जोशी ने कहा कि साक्षरता की अवधारणा बदलनी चाहिए । ब्लैक बोर्ड से पढ़ाई ही उत्तम है, शोध अपनी ही भाषा में व्यक्त करने की छूट होना चाहिए । शिक्षकों पर अन्य कार्यो का भार नहीं हो चाहिए । डाॅ.बृजबाला उइके ने कहा कि पाठ्यक्रम रोजगारउन्नमुख होना चाहिए। शिक्षण संस्थाओं में रिक्त पदों की पूर्ति होना चाहिए । डाॅ.लाली शर्मा ने कहा नैतिक शिक्षा एवं योग शिक्षा का प्राथमिक कक्षाओं से ही समावेश किया जाना चाहिए । आठवी से ही कौशल विकास को जोड़ना चाहिए जिससे की वो रोजगार का अपना सके । सुश्री रेणु त्रिपाठी ने कहा कि प्रायमरी एवं मीडिल स्कूल में जनरल प्रमोशन नहीं होना चाहिए, छात्राओं की शिक्षा पर विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि ड्रापाउड रेट अभी भी अधिक है । डाॅ.नीता एस.नायर ने कहा कि खेल कूद को प्रायमरी स्कूल से ही अनिवार्य विषय के रूप में जोड़ा चाहिए , खेल, एनसीसी, एनएसएस से जुड़े विद्यार्थी को प्रवेश में छूट दी जानी चाहिए और रिटार्यमेंट की उम्र घटाकर 60 साल किया जाना चाहिए जिससे नए युवाओं को रोजगार मिल सके । श्रीमती सुजाता ठाकुर ने कहा कि छात्र-छात्राओं को बचपन से ही ग्रंथालय जाने हेतु प्रेरित किया जाना चाहिए ।
‘‘ कमला काॅलेज में पांच हजार औषधीय पौधो का निःशुल्क वितरण ‘‘
राजनांदगांव: शासकीय कमलादेवी राठी स्नातकोत्तर महिला महाविद्यालय, राजनंादगांव की पर्यावरण संरक्षण समिति एवं होम हर्बल गार्डन योजना छ.ग. राज्य औषधीय पादप बोर्ड रायपुर के स्थानीय नर्सरी गोपालपुर, छुईखदान के सहयोग से आओ हरियाली की चादर फैलाये अभियान के अंतर्गत आज दिनांक 31.08.2019 को महाविद्यालयीन छात्राओं को पांच हजार औषधीय पौधों का वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस आयोजन मुख्य अतिथि के रूप में नगर निगम के महापौर श्री मधुसुदन यादव ने कहा कि राजनांदगांव शहर ने 05 जून 2019 को विश्व पर्यावरण दिवस के दिन एक लाख पौधारोपण का संकल्प लिया था और आज हम पचास हजार पौधारोपण का लक्ष्य पूर्ण कर चुके है। जिसमें हमारे नगरवासियों, अधिकारियों, कर्मचारियों एवं जनप्रतिधिनियों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इसके साथ ही नगर को स्वच्छ सुंदर एंव प्लास्टिक रहित बनाने के लिए हमारे मणी कांचन केन्द्र एवं स्वच्छता दीदियों का घर घर जाकर कचरा इकट्ठा करने में सहयोग भी महत्वपूर्ण है। आज जो औषधीय पौधे आप लगायेगे उसको बड़ा कर उसकी फोटो श्रीवास्तव सर को अवश्य भेजियेगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता करे श्री चन्द्रकांत कौशिक ने छात्राओं को पर्यावरण संवर्धन के विभिन्न तरीेके बताये तथा कहा जब शहर में चारो तरफ खूब पोधे होगे तब शहर का तापमान यदि 27 डिग्री हो जायेगा तो हैप्पीनेस बढ़ेगी जिसकी आजकल नितांत आवश्यकता है। महाविद्यालय की प्राचार्य डाॅ. सुमन सिंह बघेल ने कहा कि महाविद्यालय द्वारा जुलाई माह से ही विभिन्न प्रकार के पौधो का रोपण एवं वितरण कार्य पर्यावरण सरक्षण समिति द्वारा किया जा रहा है और इसी तारतम्य में आज होम हर्बल गार्डन योजना के अंतर्गत पांच हजार पौधो का वितरण किया जायेगा। पर्यावरण संरक्षण समिति के संयोजक डाॅ. ओंकार लाल श्रीवास्तव ने कहा कि हमारे महाविद्यालय में 2025 छात्राएं अध्ययनरत है जो कि लगभग सैकड़ो गांवो से सम्बधित है और आज ये पौधे लेकर ये छात्राएं अपने गांव जाएंगी तो पौधों के साथ पर्यावरण एवं जल संरक्षण की जानकारी सैकड़ों गांवो तक स्वमेव पहुंचेगी। होम हर्बल गार्डन योजना के अध्यक्ष श्री मोरध्वज साहू ने कहा कि हम लोगो ने एक लाख पचास हजार पौधा तैयार किया गया था जिसे 13 जुलाई से लगातार विभिन्न स्कूलों, कालेजों में जाकर आमजनों को औषधीय पौधों का महत्व गुण, महत्व और उपयोग और देखभाल की जानकारी हम लोग जिले में दे रहे है और हम लोग आज तक एक लाख चालीस हजार वितरित कर चुके है। ये पौधो वनऔषधीय पादप बोर्ड के सहयोग एवं परम्परागत वनऔषधीय प्रशिक्षित वैद्य संघ के सहयोग से उदयपुर, छुईखदान में लालाराम जंघेल की नर्सरी में तैयार कर वितरित की जारही है। कार्यक्रम का संचालन प्रो. आलोक जोशी ने किया एवं आभार प्रदर्शन डाॅ. जयसिंह साहू ने किया।
‘‘ कमला काॅलेज में अंतराष्ट्रीय गणित दिवस का आयोजन ‘‘
राजनांदगांव: शासकीय कमलादेवी राठी स्नातकोत्तर महिला महाविद्यालय, राजनांदगांव में अंतराष्ट्रीय गणित दिवस (22 दिसम्बर) के अवसर पर एक संगोष्ठी का आयेाजन किया । गणित विभाग के तत्वाधान में आयोजित इस कार्यक्रम में महाविद्यालय की प्राचार्य डाॅ.सुमन सिंह बघेेल मुख्य अतिथि के रूप में विराजमान रहीं । प्राचार्य महोदय ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमारे देश में वैदिक काल से ही गणित का विशेष महत्व रहा हैं । हमारे वेदों में गणित के अनुप्रयोगों के प्रमाण उपलब्ध हैं । श्रीनिवास रामानुजन जी के प्रमेयों एवं सिद्धांतों पर अंगिनत अनुसाधन कार्य आज भी हो रहे हैं, जो हम सभी के लिए गौरव की बात हैं।
गणित विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ.आंेकार लाल श्रीवास्तव जी ने इस अवसर पर कहा कि रामानुजन जी की विद्ववता का प्रमाण इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके स्वर्गवास के 100 वर्षो के पश्चात भी उनके लगभग 3752 प्रमेय अनसुलझे हैं और इस पर निरंतर अनुसंधान पूरे विश्व भर के गणितज्ञों द्वारा किए जा रहे हैं । डाॅ.श्रीवास्तव जी ने आगे बताया कि रामानुजन नम्बर क्या है तथा किस प्रकार यह अस्तित्व में आया ।
महाविद्यालय में मनोविज्ञान के सहायक प्राध्यापक डाॅ.बसंत कुमार सोनबेर ने इस अवसर पर कहा कि गणित की योग्यता किसी भी व्यक्ति की बुद्धि क्षमता का प्रतीक हैं। यदि कोई व्यक्ति गणित में निपुण है तो निश्चित रूप से उसकी बुद्धि लब्धि (प्फ) भी अधिक होगी । कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित प्राणीशास्त्र के सहायक प्राध्यापक श्री आलोक कुमार जोशी ने छात्राओं को प्रेरित करते हुए कहा कि हमें श्रीनिवास रामानुजन जी के जीवन से प्रेरणा लेना चाहिए कि किस प्रकार उन्होंने विषम परिस्थितियों का सामना करते हुए भी अपनी प्रतिभा का परिचय दिया ।
संगोष्ठी में महाविद्यालय की बी.एससी. अंतिम वर्ष की छात्रा सोनम देवांगन ने श्रीनिवास रामानुजन के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला । वही बी.एससी. प्रथम वर्ष की छात्रा गिरजा सिन्हा ने अपनी प्रस्तुति में बताया कि ‘‘पाई‘‘ का रामानुजन जी के जीवन से क्या संबंध हैं ।