राजनांदगांव: शासकीय कमलादेवी राठी स्नातकोत्तर महिला महाविद्यालय राजनांदगांव के अर्थशास्त्र विभाग में प्राचार्य डाॅ.(श्रीमती) सुमन सिंह बघेल के मार्गदर्शन में अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया । जिसका विषय ‘‘कल्याणवादी अर्थशास्त्र‘‘ विषय विशेषज्ञ डाॅ.श्रीमती सुमीता श्रीवास्तव, सहायक प्राध्यापक, अर्थशास्त्र, शासकीय दिग्विजय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय, राजनांदगांव रहे ।
समारोह के प्रारम्भ में डाॅ.एम.एल.साव प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष अर्थशास्त्र विभाग ने अतिथियों का स्वागत एवं अभिनंदन किया तथा उन्होंने विषय को अर्थशास्त्र के अध्ययन के लिए उपयोगी एवं सार्थक बताया ।
डाॅ.श्रीमती सुमन सिंह बघेल, प्राचार्य ने अर्थशास्त्र के छात्राआंे के लिए इस व्याख्यान को अत्यंत उपयोगी एवं लाभप्रद बताया तथा छात्राओं को इस आयोजन से हमेशा जुड़ने का प्रयास करना चाहिए ।
विषय विशेषज्ञ डाॅ.सुमीता श्रीवास्तव, सहायक प्राध्यापक, अर्थशास्त्र ने अपने व्याख्यान में कहा कि कल्याणवादी अर्थशास्त्र अध्ययन में उन आर्थिक क्रियाओं का निर्माण किया जाता है, जो सामाजिक कल्याण को अधिकतम करने केवल सहायक नहीं होती बल्कि आर्थिक विश्लेषण के ऐसे उपकरणों का निर्माण करती है, जिनके आधार पर व्यावहारिक नीतियों का क्रियान्वयन किया जाता है । उन्होंने बताया कि अध्ययन में तीन चरण सम्मिलित है पहला कल्याणवादी अर्थशास्त्र का संबंध प्रमुख रूप से कुशलता से है दूसरा - साधनों के आबंटन व्यवस्था आर्थिक कुशलता की समीक्षा करता है, तीसरा - आर्थिक नीतियों द्वारा सामाजिक कल्याण में वृद्धि होता है ।
डाॅ.श्रीवास्तव ने कल्याणवादी अर्थशास्त्र के संबंध में बताया कि दो अर्थशास्त्रीयों के कल्याणवादी अर्थशास्त्र का अध्ययन प्रमुख रूप से है -
प्रा.ेपीगू का कल्याणवादी दृष्टिकोण - प्रो.पीगू दो प्रकार के कल्याण बताया एक आर्थिक कल्याण और दूसरा सामाजिक कल्याण, आर्थिक कल्याण का संबंध मुद्रा के मापदंण्ड से है । यदि मनुष्य की आय में वृद्धि होगी तो राष्ट्रीय आय में भी वृद्धि होगी तथा आय स्थिर होने पर समाज के लाभ में वृद्धि होगी । प्रो.पीगू उपयोगिता को गणना वाचक के रूप में की ।
प्रो.पैरोटे का अनुकूलतम मानदण्ड - प्रो.पैरोटे ने उपयोगिता की गणना क्रमवाचक दृष्टिकोण पर आधारित है । पैरोटे का अनुकूलतम कल्याण मूल्यगत निर्णय, पूंजीवादी दृष्टिकोण अन्य बातें स्थिर रहते हुए उत्पाद, उत्पादन एवं साधन बाजार भी इसका प्रभाव पड़ता है । पैरोटे का अनुकूलतम मानदण्ड किसी व्यक्ति को बेहतर नहीं बना सकते तो दूसरे व्यक्ति को बिगाड़ नहीं सकते । उन्होंने इसको समझाने के लिए रेखाचित्र के माध्यम से भी प्रदर्शन किया ।
इस समारोह में एम.ए.प्रथम तथा चतुर्थ सेमेस्टर की छात्राएं सम्मिलित थी । कार्यक्रम का संचालन अर्थशास्त्र विभाग की डाॅ.(श्रीमती) सीमा अग्रवाल तथा आभार एवं धन्यवाद ज्ञापन श्रीमती सीमा साव ने किया ।