राजनांदगांव: शासकीय कमलादेवी राठी स्नातकोत्तर महिला महाविद्यालय राजनांदगांव के अर्थशास्त्र विभाग में डाॅ.सुमन सिंह बघेल, प्राचार्य के मार्गदर्शन में ‘‘अनिवेश नीति‘‘ विषय पर अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया, जिसके विषय विशेषज्ञ डाॅ.डी.पी.कुर्रे, प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष अर्थशास्त्र विभाग शासकीय दिग्विजय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय, राजनांदगांव रहे ।
प्रारम्भ में डाॅ.एम.एल.साव, प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष अर्थशास्त्र विभाग ने अतिथियों का स्वागत एवं अभिनंदन किया तत्पश्चात् उन्होंने अनिवेश नीति विषय को छात्राओं के लिए उपयोगी एवं लाभप्रद बताया ।
डाॅ.सुमन सिंह बघेल प्राचार्य ने अपने सम्बोधन में कहा कि अर्थशास्त्र विभाग के छात्राओं के लिए यह विषय बहुत सार्थक एवं लाभप्रद है ।
विषय विशेषज्ञ डाॅ.डी.पी.कुर्रे, प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि अनिवेश जिस माध्यम से निजीकरण किया जा रहा है उसका परिणाम आज दुनिया को देखने को मिल रही है ।
अनिवेश का पृष्ठभूमि बताते हुए कहा कि अनिवेश नीति की आवश्यकता क्यो पड़ी ? भारत में आजादी के पूर्व रेल्वे, डाक, तार एवं युद्ध सामग्री सार्वजनिक क्षेत्र का नहीं था । सार्वजनिक क्षेत्र की स्थापना दूसरी औघोगिक नीति 1956 में सार्वजनिक क्षेत्र को जोड़ा गया । उपनिवेशवाद, आधारभूत सरंचना नाम मात्र की रही है । औघोगिक निर्माण के लिए वातावरण की आवश्यकता पड़ी । जिसमें निजी पूंजी, पूंजी निवेश, निजी पूंजीगत, वातावरण नहीं था । इसके लिए सरकार को आगे उद्योगों को लगाना, औघोगिकरण विकास का निर्माण हो सके । यहां से सार्वजनिक क्षेत्र का विस्तार हुआ। सरकार विदेशी व्यापार लोहा एवं इस्पात, एल्यूमीनियम, कोयला उद्योगों की स्थापना की, जिससे लोगों को रोजगार, बचत एवं पूंजी निर्माण में वृद्धि हुई और 1980 के दशक में सार्वजनिक उपक्रमों का प्रदर्शन, विनिवेश स्त्रोत यही से शुरू हुआ । सरकार ने इस घाटे को पूरा करने के लिए तथा भष्टाचार, लालफीताशाही के कारण कई सार्वजनिक उपक्रमों को बंद करने का फैसला किया गया । 1991 का दौर अर्थव्यवस्था का नया दौर शुरू हुआ जिसमें आर्थिक नीतियों, बैकिंग, व्यवस्था को अपनाया गया तथा 1991 नयी औद्योगिक नीति की शुरूवात हुई । विनिवेश करने और बचत, घाटे में चल रहे बीमार उपक्रमों में नए विनिवेश किया गया जिसमें राष्ट्र का विकास हुआ । उन्होंने विनिवेश आयोग का गठन तथा विनिवेश नीति में कमियों का भी जिक्र किया । उन्होंने पूर्व भारतीय बैंक के गर्वनर डाॅ.विमल जलान के उस वाक्य का जिक्र किया कि आंतरिक व्यापार में सुधार के लिए अच्छा वातावरण होना आवश्यक है ।
इस समारोह में एम.ए. प्रथम एवं चतुर्थ सेमेस्टर की छात्राएं उपस्थित थी । कार्यक्रम का संचालन डाॅ.सीमा अग्रवाल ने किया तथा आभार एवं धन्यवाद ज्ञापन श्रीमती सीमा साव ने किया ।